"गृहस्थी के दल""आजकल दल बनाने का फैशन जोरों पर है। राजनीति का मैदान हो या घर का आँगन-सभी इसमें शामिल हैं"- यही बात मैंने कल अपने घर में खाने की टेबल पर कही तो सभी एक साथ मेरे ऊपर बरस पड़े - "तुम भी अजीब हो, भला राजनीति और गृहस्थी में कैसी समानता..?हाँ, राजनीति में आए दिन दल बनते बिगड़ते रहते हैं पर गृहस्थी को दलों और पार्टियों से क्या काम..?" मैंने अपनी सफाई में कई तर्क दिए और अपनी बात सिद्ध करने की कोशिश की पर सब बेकार... मेरी बात मानने के लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ। आप