हकीकत इस शब्द से महज सभी लोग पीछा छुड़ाते हैं। कोई नहीं जानना चाहता हकीकत को। सभी लोग आंखों को बंद करके जीना चाहते हैं और जीते भी हैं। पूरा जीवन उस बिल्ली कि तरह जीते हैं जो दूध पीते वक्त आंख बंद कर लेती है और समझती है कि उसे कोई नहीं देख रहा। ये उसका भ्रम होता है न कि हकीकत! लोग अपने स्वार्थ के लिए किसी भ्रम को ही हकीकत मान लेते हैं और उसी के सहारे जीवन गुजार देते हैं। क्षमा कीजिए आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा हकीकत