पता, एक खोये हुए खज़ाने का - 18

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यह सुनते ही दीपक के चेहरे पे कोई रहस्यमय सी चमक आ गई. जो जेसिका ने न देखी. दीपक ने एक्साईट होकर जेसिका की पीठ थपथपाते हुए कहा. "तब तो हमें उनका पीछा करना ही पड़ेगा!" जेसिका: "क्यूँ?" दीपक का मकसद उनकी समझ में न आया. दीपक: "तुम चलो तो सही! देखते हैं, क्या होता है." जेसिका भी इन लोगों की हर हरकत को नोट करना चाहती थी. इसलिए वह भी तैयार हो गई. दोनों पहाड़ी पर थोड़े ऊपर चढ़े. और उन आदि मनुष्यों से तै दूरी रखकर उनका पीछा करने लगे. *******रात्रि का अँधेरा घिर आया था. राजू की