मीता एक लड़की के संघर्ष की कहानी - अध्याय - 4

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अध्याय-4दूसरे दिन सुबह अचानक उसके कान में आवाज सुनाई पड़ी।ओ मैडम उठिए। आठ बज गए हैं।मीता ने अंगड़ाई लेते हुए बाँहे फैलायी और सुबोध को अपने ऊपर खीच लिया।अरे रे रे! ये क्या कर रही हो। दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा अंदर।तो आ जाने दो अंदर। मुझे प्यार करो ना सुबोध।जब प्यार करने का वक्त था तब तो सो गई, अब काम में जाने के वक्त मैडम को प्यार की सूझी है।प्यार के लिए भी कोई वक्त होता है क्या।मीता ने उसके गले में हाथ डालकर पूछा।हाँ जी, कम से कम 10 से 05 तो नहीं होता। वो वक्त