पिछले भाग में आपने पढ़ा- “यही कि जो अंतिम चीज़ मनुष्य को चाहिये वह है, प्रेम...” व्यापारी ने कहा।“तुम सच कह रहे हो कथाकार, किंतु एक चीज़ तुम भूल रहे हो प्रेम न्यायपूर्ण होना चाहिये। यदि प्रेम में सबके साथ न्याय होता तो आज मैं यहाँ न होता...”“किंतु क्या यह सम्भव है?” व्यापारी ने पूछा।“पुनः वही किंतु!! यह किंतु ही सारी समस्याओं की जड़ में होता है,,,” उस डकैत ने कहा और तीनो हंसने लगे।** अनजाने लक्ष्य की यात्रा पे- भाग-27 प्रेम और छल दृष्टि की अंतिम सीमा पर, सागर की परिधि रेखा पर,