मेरे घर आना ज़िंदगी - 3

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मेरे घर आना ज़िंदगी आत्मकथा संतोष श्रीवास्तव (3) जिन खोजा तिन पाईयाँ सिविल लाइंस के विशाल बंगले को हमें शीघ्र ही छोड़ना पड़ा क्योंकि वहाँ हाईकोर्ट की इमारत बन रही थी । हम लोग रतन नगर कॉलोनी रहने आ गए । रतन नगर कॉलोनी नई बसी कॉलोनी थी। जो शहर से काफी दूर मेडिकल कॉलेज रोड पर थी। हमारा घर सड़क से ऊंचाई पर चट्टानों पर स्थित था। घर सिविल लाइंस के घर के बनिस्बत छोटा था लेकिन बहुत खूबसूरत और खुशनुमा था। घर के पिछवाड़े की बड़ी-बड़ी चट्टानों को उखड़वा कर रमेश भाई ने किचन गार्डन भी लगा लिया