गलतफहमी

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गेम्स पीरियड था। पर नेहा खेल के मैदान में न होकर कक्षा में अकेली बैठी थी। वह बेंच पर सिर टिका कर बैठी कुछ सोच रही थी।नेहा इस स्कूल में इसी वर्ष पढ़ने आई थी। उसे एडमिशन लिए महीना भर हो गया था परंतु उसकीअभी तक किसी से दोस्ती नहीं हुई थी। होती भी कैसे? कुछ तो वह खुद शर्मीले स्वभाव की थी। उस पर उसे इस स्कूल की लड़कियां भी कुछ घमंडी लगी थीं। जब देखो किसी न किसी को देखकर खुसर-पुसर करके खीं-खीं हंसती रहती थीं। मानो किसी का मजाक उड़ा रही हों। कई बार नेहा को लगता