यूँ ही राह चलते चलते - 18

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यूँ ही राह चलते चलते - 18 - सुबह-सुबह सब लोग ठीक आठ बजे सर्दी का सामना करने के लिये पूरी तरह लैस हो कर तैयार थे। सभी ने कोट जैकेट मफलर, दस्ताने पहन रखे थे। ठंडा मौसम और वो वादियाँ अनुभा के होंठो पर बरबस ही ये पंक्तियाँ आ गई ’ ये वादियाँ ये हवाएँ बुला रही हैं हमें .............‘ रजत यह सुन कर धीरे से बोले ’’हुम्म आज तो बड़े मूड में हो ‘‘ और अनुभा सकपका कर चुप हो गई। सब लोग कोच से जंगफ्रो रेलवे स्टेशन गये जो दुनिया का सबसे ऊँचाई पर बना रेलवे स्टेशन