बलि का बकरा

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बलि का बकरा अन्नदा पाटनी समारोह समाप्त होते ही, सभागृह से निकलने की सभी को उतावली थी । तभी एक सज्जन सामने आ कर खड़े हो गए । मैं कब से आपसे बात करना चाह रहा था पर आप तक पहुँच ही नहीं पाया। अब अवसर मिला तो सोचा दर्शन तो कर लूँ । लतिका के पिता बड़े प्रतिष्ठित लेखक थे और जो सज्जन सामने आ खड़े हुए थे उनकी गिनती भी वरिष्ठ लेखकों में थी । लतिका के पिताजी ने परिचय करवाया, लतिका ये शुभेंदु हैं, बहुत अच्छा लिखते हैं और अनेक लोकप्रिय पत्रिकाओं के संपादक भी रह