जो तुम्हें पसंद है...

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तुम्हें जो पसंद है...उगते और डूबते हुए सूरज को देखना, उड़ती हुई पतंगों को देखना और... और गोल गप्पे खाना तुम्हें कितना ही पंसद है। गर्मी के दिन में दिनभर शाम का इंतज़ार और शाम के बाद सुबह का इंतज़ार कितनी ही सुखद अनुभूति होती है। वैसे ज्यादा गर्मी न तुम्हें पंसद है और न ही मुझे. बाकी इन दिनों मैं शाम होते ही छत पर दौड़े चला आता हूँ। गर तुम जान गई कि मैं शाम होते ही दौड़ते हुए, छत चढ़ता हूँ। तुम डाँटते हुए कह दोगी, अब से छत ही नहीं जाना है। सो बाबा जो कहा