वीर शिरोमणिः महाराणा प्रताप।(भाग-(४)

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जब दिनकर नभ में आते हैं,तम का प्रभाव तब मिटता है।या दिख जाये जब केहरि तो, भेड़ों का दल कब टिकता है।।जग में प्रताप ने जन्म लिया, मुगलों का मान मिटाने को।आजादी की बलि वेदी पर, अपना सर्वस्व लुटाने को।।राणा को रण करना ही है,इन निर्मम मुुगल अमीरों से।हम मुक्त करें निज धरती को,परवशता की जंजीरों से।।हर घड़ी कौंधते थे विचार, कैसे कलंक यह धुल जाये।बन्धन सारे भरतभूमि के, कैसे मुझसे कब खुल पायें।।कैसे चित्तौड़ गुलाम हुआ, हमसे थी कैसे चूक हुई।कब जंग खा गयीं तलवारें, शेरों सम गर्जन मूूक हुई।‌।धरती का ऋण जो मुझ पर है,उसको इस तरह चुकाना