मैं एक लेखिका हूँ इस नाते ये मेरा दायित्व है कि लोगों की सोच पर पड़ी हुई गर्द को अपने अल्फ़ाज़ से साफ कर दूँ , हो सकता है ये गर्द पूरे तरीके से ना गिरे पर यक़ीनन कुछ तो साफ जरूर नज़र आएगा। ©मोनिका काकोड़ियासोचती हूँ तुझे हर्फ़ दर हर्फ़ लिख दूँफिर सोचती हूँ,जाने कौन कौन पढ़ ले✍️जलती धूप में नंगे पांव सड़कों पर भागता बचपनसर्दी में ठिठुरता, बारिश में भीगता हुआ बचपनशायद गाड़ियों में अपना भगवान तलाशता है✍️बड़ा उल्लास था घर में महीनों सेआज क्यों इतनी ख़ामोसी आ पसरीलगता है फिर " लक्ष्मी" चली आयी✍️रहीने