माँ एक गाथा: भाग : 5

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दादी की ममता है न्यारी ,पोतो को लगती है प्यारी ,लंगड़ लंगड़ के भी चल चल के ,पोते पोती को हँसाती है ,धरती पे माँ कहलाती है। कितना बड़ा शिशु हो जाए ,फिर भी माँ का स्नेह वो पाए,तब तब वो बच्चा बन जाता,जब जब वो आ जाती है,धरती पे माँ कहलाती है। धीरे धीरे नजर खोती हैं ,ताकत भी तो क्षीण होती है ,होश बड़ी मुश्किल से रहता ,बिस्तर पर पड़ जाती है ,धरती पे माँ कहलाती है। दांतों से ना खा पाती है ,कानों से ना सुन पाती है ,लब्ज कभी भी साथ न देते ,मुश्किल से कह