तुम ना जाने किस जहां में खो गए..... - 1

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हर्ष ,हर्ष! कहां हो तुम? तुम्हें ढूंढती, तुम्हारे पीछे भागती वही मैं और अचानक सपना टूट जाता है। क्यों बार-बार देख रही हूं मैं यह सपना ? क्या संबंध है मेरा इस सपने से ? संबंध तो वास्तव में बहुत गहरा रहा है। करीब 25 साल पुराना। याद आता है वह दिन , करीब 16 साल की रही होंगी मैं। कुछ उम्र की खुमारी , कुछ मेरी कल्पनाशीलता और उस पर उस समय यह संदेश आना कि तुम्हें भी मैं बहुत अच्छी लगती हूँ मैं। कैसा नशा था, खुद-ब-खुद दिन जैसे रजनीगंधा की महक से महकने लगे थे। हर समय तुम्हारी