कल्पना की उड़ान

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ऐ वीरो जागो..घनघोर घटाए छाई हुई है ।दीप कहीं भी नजर ना आए ।।जागो ऐ वीरो जागो तुम फिर।आपदा है बड़ी सीरत में आई।।बलिदान तुम्हारी है धरती मांगे।देखो भीषण एक रण है आगे।।लडो शत्रु का संहार करो तुम।मिट्टी अपनों का मान रखो तुम।।अगर धरती जो शहीदी मांगे है।सबसे आगे ही आगे बढ़ो तुम।।हल्दीघाटी सुमासन हो गई।चेतक सा तूफान मचाओ।।हे वीरो सब तुम धनुर धर लो ।तुनिर में सारे तीर सजा लो।।ये एक धर्मयुद्ध है हम सबका।मिटो मिटाओ शान बचाओ।।दिल में जीत की आग जालाओ।वीर हो तुम सारे शस्त्र सजाओ।।वीर शिवाजी के वंशज हो तुम।महाराणा के भाले