ज्याँकों राँखें साईंयाँ.. भाग 2

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क्यों किउस चमकती हुई बिजली में युवी ने जो देखा, उसकी एक झलक ही इतनी क्रूर , भयंकर,डरावनी थी. शायद यह आंखों का धोका या बुद्धि का भ्रम हों, यह सोचकर युवी ने आंखे बंद की सच्चे मन से बाबा को आवाज लगाई और जोर से"जय साईंनाथ" का जयकारा लगाते हुए मोबाइल टॉर्च को उस दिशा में घुमाया. पर ये क्या... फिर वही दृष्य.एक अधनंगा ईन्सान एक के पेड से उल्टा लटक कर झूल रहा था, चमगादड़ की तरह. उसका सर ऊपर लटके पैरो के बीच एक टहनी पर थी. और उल्टे लटके हुए धड़ से खून पानी की तरह