जावेद

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जावेद ------- नीरज नीर कहानी की शुरुआत तो बहुत पहले हो गयी थी। लेकिन यह भूली हुई कहानी फिर से शुरू हुई बीमा कंपनी के एक खत से। मैं शहर में रहकर वकालत कर रहा था, लेकिन अपनी पूरी कोशिश व जद्दोजहद के बाबजूद वकालत में काम कुछ खास बन नहीं रहा था। खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था। शहर में रहने का खर्च भी बहुत ज्यादा था। घर में आमदनी का दूसरा कोई साधन नहीं था। माँ बीमार रह रही थी। ज्यादा उम्र होने के कारण पिताजी से अब खेती-बारी संभल नहीं रही थी। इसी बीच जब मैं