दो बाल्टी पानी - 13

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करीब घंटे भर बाद मिश्राइन और वर्माइन का नंबर आया, दोनों ने अपनी-अपनी बाल्टी भरी और मुंह लटकाए घर की ओर चली आईं |मिश्राइन(घूंघट को नीचे की ओर खिंचते हुए) -" गांव के मर्दों को तो जैसे कोई लाज सरम ही नहीं है, अरे हम जनानी पानी भरने जाए तो इन मुश्तअंडों को नहाता हुआ देखें" |वर्माइन - "सही कहती हो बहन, बड़े निर्लज्ज है ये पर क्या करें मरना जुझना तो है ही हमें" | दोनों औरतें अपनी भड़ास गांव के मर्दों को कोसकर निकालते हुए अपने-अपने घर पहुंचती हैं | " लल्ला… रे लल्ला…" सरला सुनील को आवाज देती है