मध पंखीड़ा मध पाँजरे “मध पंखीड़ा, मध पाँजरे संसार माया जाल छे...........” ( हे शहद का निर्माण करने वाले पंखियों (मधुमक्खियों), तुम्हारे ही द्वारा रचा हुआ यह शहद का मधुर छत्ता, संसार रूपी एक मायाजाल है । इस पिंजरे को तुमने ही रचा है और तुम ही इसकी माया में फँसकर इसे छोड़ नहीं पाते हो ) मोबाइल की ऑडियो रेकॉर्डिंग में अठ्ठासी वर्षीय फोई बा (बुआ जी) की गहरी और थोड़ी-सी भारी आवाज़ में भजन बज रहा था । उदासी का एक रेला बार-बार इस आवाज़ से निकल कर सूने घर की दीवारों से टकराते हुए उनके हल्के पीले