हाथ मे चाकू लिए रोमिल कमरे के एक कोने में खड़ा हुआ था। कमरे में खून पसरा हुआ था। खून की अजीब सी गंध वातावरण में फैली हुई थी। गंध ऐसी थी जैसे खुद का ही खून पसरा हुआ हो! दर्द के मारे सिर फटा जा रहा था। रोमिल के माथे पर पसीने की बूंद साफ-साफ दिख रही थी। चाकू से खून बून्द-बून्द बन धीरे धीरे टपक रहा था। खून से लथपथ एक व्यक्ति की लाश फर्श पर औंधे मुँह पड़ी हुई थी। कमरे में कोई खिड़की नही थी। कमरे का दरवाजा भी बंद था। रोमिल की आंखों में खौफ