बाजार

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1.बाजार झूठ हीं फैलाना कि,सच हीं में यकीनन,कैसी कैसी बारीकियाँ बाजार के साथ।औकात पे नजर हैं जज्बात बेअसर हैं ,शतरंजी चाल बाजियाँ करार के साथ। दास्ताने क़ुसूर दिखा के क्या मिलेगा,छिप जातें गुनाह हर अखबार के साथ।नसीहत-ए-बाजार में आँसू बावक्त आज,दाम हर दुआ की बीमार के साथ। दाग जो हैं पैसे से होते बेदाग आज ,आबरू बिकती दुकानदार के साथ।सच्ची जुबाँ की है मोल क्या तोल क्या,गिरवी न माँगे क्या क्या उधार के साथ। आन में भी क्या है कि शान में भी क्या ,ना जीत से है मतलब ना हार के साथ।फायदा नुकसान की हीं बात जानता है,यही कायदा