कविता संग्रह 1 . कविता -- भारत की नारी मैं आधुनिक भारत की नारी हूँ अबला न समझना मुझको मैं 'तुलसी ' की नहीं वो नारी जो थी सकल ताड़ना की अधिकारी और न वह ‘ 'गुप्त ' की नारी जिसके आँचल में था दूध और आँखों में था केवल पानी मैं शील शिष्टाचारी हूँ पर भूल कर इसे मेरी दुर्बलता नहीं समझना मैं एक सुप्त चिंगारी हूँ इसको हवा न देना सहनशीलता की है एक सीमा क्योंकि ये शोला अगर