बहीखाता - 29

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बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 29 चाल इंग्लैंड में मेरे बसने के पीछे निरंजन सिंह नूर का बहुत बड़ा हाथ है। नूर साहब मेरे लिए जिंदा रोल मॉडल बनकर साबित हुए। लंदन में मुझे न कोई नौकरी मिली और न ही मेरी इसमें किसी ने कोई मदद की। यदि चंदन साहब के हाथ-वश में होता तो वह कभी भी मेरे पैर वहाँ न लगने देते। वह तो जो भी मेरे साथ जुड़ता था, उसके संग ही लड़ पड़ते थे। यूँ दिल से वह यही चाहते थे कि मैं नौकरी न करूँ। इसके पीछे मेरी शख्सियत पर