अब मेरी हालत ऐसी थी कि कमरे में मैं रुक नहीं सकता था और बाहर मैं जा नहीं पा रहा था, दरवाजा अभी तक नहीं खुल रहा था। कल के सफर और आज की थकान के कारण कुछ देर बाद मैं करवट करके सो गया। 3 बज रहे थे जब दोबारा मेरी किस्मत मेरे साथ खेलने लगी। मुझे लगा जैसे कोई मेरे पीछे बैठा है, पर जब मेंने पीछे मुड़कर देखा तो कोई भी नहीं था। मैं दोबारा लेट गया और सोचने लगा आखिर मैंने इस चुड़ैल का क्या बिगाड़ा है जो यह हाथ धोकर मेरे पीछे पड़ गई है।