आओ चलें परिवर्तन की ओर.... भाग - १

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आज से करीब बीस-इक्कीस साल पहले कॉलेजिस में लड़कियां बहुत कम हुआ करती थीं और इसी कारण वह हमेशा आकर्षण का केंद्र रहती थीं | उस ज़माने में कॉलेजिस में रैगिंग एक आम बात थी और कॉलेज प्रशासन की तरफ से भी कोई ख़ास रोकटोक नहीं होती थी | मेरे जैसे लड़कों की रैगिंग तो लगभग रोज़ ही होती थी और ज्यादा बुरा तब लगता था जब लड़कियां भी इसमें शामिल हो जाती थीं| कॉलेज पहुँचने के बाद समझ में आया कि मैं हमेशा से चाहे स्कूल हो या कॉलेज, सबसे पीछे(back bencher) बैठने वाला ही क्यों रहा? क्योंकि मैं