चिरइ चुरमुन और चीनू दीदी (कहानी पंकज सुबीर) (6) उस दिन झाँकी का वो समय कैसे कटा हम ही जानते हैं । शोएब तो पुराने टायरों से बनाये गये कालिया नाग के फन पर खड़ा हो गया और इधर हम सारे गोप ग्वाले उत्सुक थे ये जानने को कि आख़िर बात क्या हुई, और क्या क्या हुआ । मगर उसके लिये अगले दिन तक का इंतज़ार करना था क्योंकि झाँकी रात के नौ बजे ख़त्म होती थी । उसके बाद ग्रीन रूम में हमारे मेकअप उतारने का काम एक बार फिर चीनू दीदी ने किया। मेकअप और साज सज्जा करने