चिरइ चुरमुन और चीनू दीदी (कहानी पंकज सुबीर) (4) अम्मा जी हमें नानी की कहानियों की वो दुष्ट राक्षसी लगती थीं जो राजकुमार को क़ैद करने के लिये हमेशा नये नये जाल बिछाती थी । अम्मा जी से हमें एक और कष्ट था, वो ये कि जब उनको कोई काम नहीं होता तो वो हमें देखते ही चिल्लातीं ‘ऐ लड़के इतनी गर्मी (सर्दी, बरसात) में बाहर क्यों घूम रहे हो, चलो घर ।’ ये वो समय था जब किसी भी बच्चे को पूरे मोहल्ले का कोई भी बड़ा, डाँट सकता था, मार सकता था, जलील कर सकता था । ये