बहीखाता - 21

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बहीखाता आत्मकथा : देविन्दर कौर अनुवाद : सुभाष नीरव 21 रिसेप्शन मुझे उनकी दो बातें चुभने लगी थीं। एक तो सिगरेट पीना और दूसरे शराब पीकर बड़बोला हो जाना। ये दोनों बातें ही मेरे बचपन से लेकर मेरे इंग्लैंड आने तक मेरे से दूर रही थीं। मैं तो यह किसी न किसी प्रकार सहन कर रही थी, पत्नी धर्म निभाना था या कुछ और, पर मेरी माँ, भाभी और भाई इनकी इन आदतों को कैसे लेंगे, इसे लेकर मैं चिंतित थी। अब हमारा वापस इंडिया जाने का कार्यक्रम बन रहा था। इंडिया जाकर हमने कोर्ट मैरिज रजिस्टर करवानी थी, धार्मिक