महाकाल मेरा

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अब तो तु ही है मनझील मेरीऔर तु ही तो है सहारा मेरा....तेरे सीवा अपनाना कोइ था,ना कोइ है,और अब तो ना ही कोइ रहेगा मेरा....मेरी हर एक मुसीबत मे सीर्फ तुने ही थामा और सीर्फ तु ही थामेगा हाथ मेरा....क्युकी तु ही तो है कालो का कालमहाकाल मेरा....श्रुष्टी के कल्याण हेतु हलाहल नामक विष पीया तुनेबस तेरे ही बनाये इन्सान के कल्याण हेतु वैरागी नामक विष पीया मैंनेहाथ जोडे नदमस्तक खडा है तेरे सामने यह दास तुम्हाराअपनाले मुझे भोलेक्युकी मैं भी हु एक छोटासा अंष तुम्हारा....शरीर और आत्मा के संग समग्र जिवन है तुझे समर्पीत मेराबसा लुं मेरे कोमल ह्यदय