एक प्याली चाय और शौकीलाल जी - भाग 3

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बीवी का प्रस्ताव सुन शौकीलाल जी भीतर तक कांप उठे। हजार रुपए बड़ी मुश्किल से उन्होंने घर खर्चे में कटौती कर बचाये थे ताकि कई महीने पूर्व शर्मा जी से लिये कर्ज का भुगतान कर सकें किन्तु श्रीमती द्वारा उस रकम पर भी डाका डालने की साजिश से वाकिफ होते ही चिंतित हो उठे। -' उठिये न जी, अब देर मत कीजिए। देखिए, मैं तैयार हूं। सिर्फ आप को तैयार होना है।' आदेश देकर पत्नी जी घर के बाकी काम निपटाने चली गई। शौकीलाल जी आज श्रीमती की चंचलता देख हैरान थे। और दिन तो तैयार होने में घंटो लगा