गंगा

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गंगा। जब कभी यह शब्द, हमारी या किसी की भी जुबान पर आता है। हमारे मनोमस्तिस्क मे एक ही भाव उत्पन्न होता है।गंगा यानी- पवीत्र, निर्मल, कोमल, दिव्यता से भरी। हमारा मन एकदम शांत हो जाता है और मानो गंगा के कलकल बहते नीरके साथ बहने लगता है।