सकारात्मक आत्मायें - परिचय -जैस इंसान अच्छे -बुरे हेते है वैसे ही आत्मायें भी हेती है ,क्योकि भुत भी कभी इंसान ही था ,और किसी जीव की प्रकुति को कोई परिवर्तित नही कर सकता है , अच्छी आत्मायें बहुत कम होती है ,अक्सर अच्छी वस्तुये़ कम ही होती है । जैसे पुरी सुष्टि का अधिंकाश भाग अन्धंकार में है पर प्रकाश केवल सीमित ही है । पुरी पुथ्वी पर समुद्रीजल असीमित है और पीने योग्य साफ जल केवल कुछ मात्रा में है । यही सुष्टि का नियम है । बुराई हर जगह व्याप्त है और अच्छाई केवल सीमित ही है। ऐसी