मुन्नू अनशन पर एक दिन मेरे मित्र राधेश्याम मेरे पास हांफते हुये आये । मैंने पूछा - ‘राधेश्याम इतना भाग क्यों रहे हो & ओलेम्पिक्स तो कब की खतम हो गई है A तुम अभी तक अभ्यास कर रहे हो ! वे अत्यंत घबराये हुये थे । बदहवास से बोले - भैया शुक्ला फ़ौरन मेरे साथ घर चलो । मुन्नू को न जाने क्या हो गया है । इन्कलाब ज़िन्दाबाद । भारत माता की जय । और न जाने क्या - क्या बक रहा है । मैंने कहा - ‘कहीं उस पर पढ़ाई तो नहीं सवार हो गई