भोजपुरी माटी

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आइल गरमी ------------- सूरज खड़ा कपारे आइल, गर्मी में मनवा अकुलाइल। दुपहरिया में छाता तनले, बबूर खड़े सीवान। टहनी,टहनी बया चिरईया, डल्ले रहे मचान। उ बबूर के तरवां मनई, बैईठ ,बैईठ सुस्ताइल। गइल पताले पानी तरवां, गड़ही,पोखर सुखल इनरवां। जल-कल पर सब दउरे लागल, जिउवा बा बौराइल। छानी छप्पर के तरकारी, सुख के खरई भइल मुआरी। तिनका तिनका चटक गइल बा, हरियर डार पात मुरझाइल। खर, खर बाटे छान मड़ैया, अंगना में चिरई लड़वइया। छन से गिरल बूंद माटी में, पड़ते पड़त सुखाईल । गली गली में बिच्छी कीरा, डंक से मुअलें मगरू मीरा। मच्छर काटे ,जीव पिरावे, बहुत तेज