एक सच : आरंभ ही अंत

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एक सच: आरंभ ही अंत PART-1 में(निखिल) कॉलेज में था, पापा(जगदीसभाई) काम पर और माँ(रवीनाबेन) घर पे, छोटा भाई(आयुष) भी स्कूल में गया था। सोमवार से लेकर शनिवार तक हम लोगो की ज़िंदगी ऐसे ही चलती रहती थी। रविवार के दिन पापा काम पर आधे दिन ही जाते थे और आधा दिन हमारे साथ गुज़ारते थे। और रोज हम लोग डिनर साथ में करते थे। पापा और माँ के साथ रहके एक सुकून सा मिलता था। ऐसा लगता था कि ये पल यहीं पर ठहर जाये। बस अब और कुछ नहीं चाहिए। लेकिन उस दिन........ पापा को काम से आते-आते देर हो गयी, माँ