१.प्रिय विद्यालय:जब उदास होता हूँया यादों की सैर करता हूँतो नैनीताल के कोहरे में खो जाता हूँ।स्नो व्ये, नैना शिखर, टिफिन टोप सेखिसने लगता हूँ, ताल की तरफ,आकाश को छू तो नहीं पातापर कोशिश में उछलता हूँ।दोस्तों के साथ की गयी यात्राएंलपेट लेता हूँ ,अपने को कभी स्वीकारता ,कभी अस्वीकारता,मैं खड़ा हो जाता हूँ विद्यालय की चौखट पर।जो कहना हो कह देता हूँ,विद्यालय से प्यार करता हूँ,प्यार का पैमाना मेरा अपना है,तल्ली ताल से नापूँ या मल्ली ताल से,सुबह बन जाऊँ या शाम बन जाऊँ।पर मन करता है,कभी - कभी नैनीताल के आर पार हो जाऊँ,कोई रूठे,कोई छुए और ताल