सुकून ---------- अरसे बाद देखकर सुकून मिला मानो पतझड़ में कोई फूल खिला। रिश्तों में अब भी वही गर्माहट संजो रखा है जहाँ से राह बदलकर तूने मुझे फेंका है । कहाँ मैं हूँ कहाँ तुम पर फेसबुक पर देखा है प्रोफाइल खोलकर तुझे छुआ परखा है बहुत खाली खाली सा लगा संक्षिप्त फेसबुक लेखा है। पर लगा जहाँ तुम छूटी थी अब भी वहीं है चेहरे की झुर्रियां कहती है सब ठीक ठाक नहीं है आखिर कौन सी राह फिर मुड़ गयी कि तुम्हारी रंगत उड़