मरीज़-ए-इश्क़

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1 न बादशाह हूँ न शहंशाह , कि कोई फरियाद रक्खेगा । मगर तूफान हूँ ऐसा , ये जमाना याद रक्खेगा ।। 2 मेरी तरक्की से जलने वालों आबाद हो जाओगे , एक बार मेरी राह तो चुनो । बेजा परेशान होते हो मेरी मुस्कराहट से बार-बार , कम से कम एक बार मेरी आह तो सुनो ।।