कुछ भी नहीं हुआ अनोखा ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। इतिहास की मोटी- मोटी किताबें भरी हैं घटनाओं के पन्नों से सफ़ेद कागज़ पर लिखी हैं काली इबारतें बड़े- बड़े भूचालों को झेलकर आगे बढ गई धरती एक लम्बी दूरी तय करके आये हैं वहां जहाँ खड़े हैं हम कोई तूफ़ान नहीं आया है आएगा तब भी कर लेंगे उपाय बचाब के सुनामी नहीं है विध्वंस की कोई ज्वालामुखी पिघल कर नहीं बह रहा हमारी बस्तियों की ओर आंधी नहीं है प्रलयंकारी कोई हमारे आसपास सत्ता परिवर्तन का अर्थ जन का पराजित हो जाना नहीं है इस तरह अवसाद की गहरी खाई में नहीं गिर जाना चाहिए निराशा की चादर ओढ़कर दुबक नहीं जाना चाहिए विस्तर में भ्रम के अँधेरे में भय के भूत से मत डरो इस भयंकर सर्द समय में बचाये रखना होगा अपने आत्मविश्वास की आग ।