कबूतर

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एक शहर था, जो बड़ी तेज़ी से तरक़्क़ी कर रहा था. उसी शहर में एक कबूतर का जोड़ा रहता था. शहर में अन्धाधुन्ध बन रही इमारतों की वजह से पेड़ों की कमी हो गयी थी. अब कबूतर इमारतों की खिड़कियों के लिये बने छज्जों पर रहने लगे थे. लेकिन मादा कबूतर छज्जे पर अण्डे नहीं दे पा रही थी क्योंकि उसे डर लग रहा था कि, “पिछली बार की तरह इस बार भी मेरा अण्डा छज्जे से नीचे गिरकर टूट जायेगा.”