में हर सुबह उसकी खिड़की पर एक नया आसमां टांग देना चाहती हूं और हर शाम सिर टिकाने को ...
मोहब्बत नाम एक अलग ही नाम है कब कैसे कहा किस से हो जाए कुछ पता नहीं ना तजुर्बा ...