Quotes by Somesh Pandey in Bitesapp read free

Somesh Pandey

Somesh Pandey

@rameshpandey.184439


करोगे क्या शिकार इस घायल दिल का
ना इसमें जज़्बात है ना इसमें एहसास।
#शिकार

हरदम है तैयार करने को# शिकार
घात लगाए बैठे है सफेद पोश किरदार।
#शिकार

*नीरजा पांडेय* जी द्वारा लिखी तिरस्कृत की समीक्षा -


ज़िन्दगी में उतार चढ़ाव आते रहते हैं पर सफलता उसकी होती है जो ज़िन्दगी की चुनौतियों के आगे हार नहीं मानता ।
ये व्यक्य आपकी कहानी की मुख्य पात्र *सुमित्रा* ने यथार्थ किया है।



मैंने यूं तो ना जाने कितनी ही कहानियां पढ़ रखी हैं पर *तिरस्कृत * पढ़ कर लगा कि वाकई में ये कहानी आज के समय को दर्शा रही है ।
हमारा युवा पीढ़ी व्यव्हार अपने माता पिता के प्रति कितना निष्ठुर हो गया है ये तो सब जानते हैं ।
पर ये सच्चाई ऐसी है जिस पर हम सबको चिंतन करने की आश्यकता है ।
और ये सिर्फ कहानी ही नहीं बल्कि ये कितने बूढ़े मा बाप के साथ घटित हो चुका एक बेहद दर्दनाक हादसा है
नीरजा जी आपने इस कहानी को बेहद मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। अगर ये हमारे युवा पीढ़ी पढ़े तो उसको एहसास हो कि उसने क्या खोया है और क्या बदले में क्या दिया है अपने मा बाप को।
मुझे ये कहानी बहुत पसन्द आयी और मै अपने से जुड़े हर व्यक्ति को इसको पढ़ने के लिए अनुरोध किया हूं ।
जो विषय आपने चुना है ये सिर्फ कहानी तक सीमित नहीं है ये आने वाले समय के साथ युवा पीढ़ी की माता पिता के प्रति संवेदनहीनता को बेनकाब कर रहा है।


आशा है कि आप ऐसे ही समाज के पहलुओं को बेहद सुंदर तरीके से अपने शब्दों में पिरो के हम सब को जिंदगी के अनदेखे और अनसुने और प्रेरणा देने वाली कहानियां लिखती रहेंगी ।


Neerja Pandey लिखित कहानी "तिरस्कृत" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19892884/tiraskrit

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क्यों दूढ़े है मंदिर मंदिर तू अपने भगवान को,
वो बसा है कण कण में ,दिल में अपने झांक तो।
#मंदिर

Neerja Pandey लिखित कहानी "नैना अश्क ना हो... - भाग -2" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19894750/naina-ashk-na-ho-2

संघर्ष मेरा अब तो हरगिज ना रूकेगा,
दामन सफलता का जब तक ना मिलेगा।



#संघर्ष

संघर्ष कर रहा हूं मैं अपने आप से
छोड़ कर अपनो को करोना काल में।
#संघर्ष

भाई मेरे ना #खेद जता
तेरे हाथ में है क्या मुझको दिखा।
#खेद

Neerja Pandey लिखित कहानी "ये कैसा संन्यास" मातृभारती पर फ़्री में पढ़ें
https://www.matrubharti.com/book/19889726/ye-kaisa-sanyas

आज के दौर में जब अपने पर ही विश्वास नहीं रह गया है तो
विश्वसनीय बनना बड़ा ही मुश्किल है, पर कहते है ना नी:स्वार्थ
कोशिश जरूर कामयाब होती है, इसलिए वक़्त लगेगा पर विश्वसनीय बना जा सकता है।
🙏🙏🙏🙏🙏
#विश्वसनीय

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