The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
कुछ_हँसकर ? बोल दो ? कुछ हँसकर टाल दो, ? परेशानियाँ ? तो बहुत हैं ☝ कुछ वक़्त ? पर डाल_दो ।। ??
"मंदिर"में दाना चुगकर चिड़ियां "मस्जिद" में पानी पीती हैं मैंने सुना है "राधा" की चुनरी कोई "सलमा"बेगम सीती हैं एक "रफी" था महफिल महफिल "रघुपति राघव" गाता था एक "प्रेमचंद" बच्चों को "ईदगाह" सुनाता था कभी "कन्हैया"की महिमा गाता "रसखान" सुनाई देता है औरों को दिखते होंगे "हिन्दू" और "मुसलमान" मुझे तो हर शख्स के भीतर "इंसान" दिखाई देता है... क्योंकि... ना हिंदू बुरा है ना मुसलमान बुरा है जिसका किरदार बुरा है वो इन्सान बुरा है
मर्द कहता है कि अकेली औरत महेफुज नहीं होती, मगर ये नहीं बताता कि किसकी वजह से .
*मसला तो सिर्फ एहसासों का है.* *रिश्ते तो बिना मिले भी सदियां गुजार देते हैं.
*काश* *कोई ऐसा दर्जी मिल जाता* *जो रिश्तों में* *गलतफहमियों‘ से हुए छेद को* *सफाई से रफू कर देता*
तेज भी, मीठा भी है इश्क, गर्म भी, तीखा भी है इश्क !!!! सर्द सुबह की अदरक वाली चाय के ज़ायके जैसा है इश्क !!!!
अहसास सच्चे हो, वही काफी है यकीन तो लोग! सच पर भी, नहीं करते....।।
दुनिया सिर्फ "नतीजों" को ही "सलाम" करती है... "संघर्ष" को नहीं..!,
लोगों से कह दो ?हमारी तकदीर ?से ??जलना. छोड़ दें ??क्योंकि हम ?घर से दवा नहीं ⛄ मां? की दुआ लेकर? निकलते हैं
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser