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Kailash Jangra

Kailash Jangra

@kailashjangra7252


साथ

दिवाना हूँ मैं-थाम लूँगा तुमको महज़ लचीले मृदंग से ,
भटके तुम हो-राह दिखलाऊंगा मैं तुम्हारे मंजिल की ।

साथ चलना होगा मेरे-पथिक बन कर ही सही ,
देश की ख़ातिर-साथ निभाना होगा मेरा दोस्त बन कर ही सही ।

-Kailash Jangra

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Don't compare youelrself with your demerites ,
sometimes seeing of merites ownself ,
took place important role in your life ,
and give a new way to you .

Hesitate to speak false ,
don't hesitate to speak true .

-Kailash Jangra

ख़ोज

जिन ख्वाबों में खोया हूँ मैं , उनका कोई दर्पण नहीं ।

जिस बदन का बना हूँ मैंं , उसका कोई मोल नहीं ।।

जिस प्रेम की ख़ोज में हूँ मैं , उसका कोई अंत नहीं ।

जिस ईश्वर की ख़ोज में हूँ मैं , उसका कोई नाम नहीं ।।

-Kailash Jangra

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भटकते रास्ते

बावरा हो रहा यूँ ही, यौवन के उन्माद से तू ।
यत्न किए लेकिन, नादान भटक गया मूढ़ जग में तू ।।

प्रासाद तू समझता, खंडहर है वह।
कोई प्रत्याशा न कर, तेरे नीड़ विनाश की चंचलता है यह।।

अच्छा है बेसुध होना, इतना नहीं कि राह भटकना ।
भटके हो जिस कारण तुम, वह जड़ उखाड़ना ।।

थाम लेना पग के लचीले वेग अपने, महज़ दूरी वास्ते ।
दूरी यही अहसास हो तुम्हें, भटके किसी और के वास्ते ।।

-Kailash Jangra

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वक़्त की रफ़्तार के साथ, तनिक श्वेत मन के साथ।
चलता जा रहा तू, काया की माया के साथ।।

पात्र तू, अलौकिक संसार में फंसा है।
नि:शेष नमित है तू, इस माया की अंधड़ से।।

क्षण भी न गंवा तू, निकल फ़रिश्ता बन कर।
बाबे-गुनह समाप्त होंगे, एजाजे-सुखन बनता,
वक़्त की रफ़्तार के साथ ।।

-Kailash Jangra

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