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Kabhi-kabhi haste-haste bhi Ye aankhe nam ho jati hai. kabhi-kabhi bohot saare dost bhi Kam ho jaate hain, kabhi-kabhi jung saari duniya se hoti hai, Aur kabhi-kabhi apne dushman khud hum ho jaate hain!
ना मायके की होती है, ना ससुराल की होती है! बेटी दुनिया के लिये सिर्फ परायी होती है। जिस घर आँगन में खेली, उससे सिर्फ उसकी बिदायी होती है । एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है । बचपन से उसे ये जता दिया जाता है, उसके पराये होने का कारण उसे बता दिया जाता है। तुम हो पराया धन उसे हर पल ये बात समझा दी जाती है । क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है। एक रस्म, एक परम्परा के नाम पर, उसके सारे अधिकार छीन लिये जाते हैं। जिस मोहल्ले की गलियों में वो खेल कर बढ़ी हुई, एक रस्म के नाम पर उसे उन सब से बेगाना कर दिया जाता है। क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है। दिल में दर्द, आँखों में आंसू देकर उसे बीदा कर दिया जाता है । हर जन्म के रिश्ते से अलविदा कह दिया जाता है। क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ परायी होती है। हर छुटा हुआ रिश्ता उसे ये अहसास दिलाता है, जिंदगी के इस सफर को उसे अनजान रिश्तो के साथ आगे बढ़ाना है। इन उलझे और अनसुलझे रिश्तों में बंधे रह जाना है। क्योंकि वो एक बेटी है, और बेटी तो सिर्फ परायी होती है। उसका ना कोई हक ना अधिकार होता है। थमा दी जाती है उसके हाथ में जिम्मेदारियों की चाबी, जिसे जिंदगी भर उसे ही निभाना होता है, क्योंकि एक बेटी तो सिर्फ पराया धन होती है। मायके में उसके कुछ कहने पर पाबंदी होती है, ससुराल मे उनसे कुछ पूछा नहीं जाता है। क्योंकि एक बेटी की अपनी कोई राय नही होती है, वो तो सिर्फ परायी होती है। कहने को वो दो घर का मान होती है, पर उसकी अपनी कोई पहचान नहीं होती है। क्योंकि वो तो हर घर में ही परायी होती है। एक बेटी दुनिया के लिये सिर्फ परायी होती है। #HappyHoli
rang do mujhe ab tum apne rang me, berang zindagi ab mujhe achhi nhi lagti....!!! happy holi to all🎨 note:- pani bachaye pr tyoharo na mna kr nhi balki apni aadto me sudhar lakr😊
मैं खुद के लिए ही एक पहेली सी हूं, कभी तो बस एक खुली किताब सी हूं, तो कभी किसी अनसुलझे ख्वाब सी। कभी एक ठंडे हवा के झोंके सी, कभी चिलचिलाती धूप सी. कभी ओस की बूंद सी शांत हूं, तो कभी कड़कड़ती बिजली के शोर की तरह गुस्सैल सी। कभी तो इक पल में खिलखिला देती हूं, तो कभी छोटी सी बात भी मुझे उदास कर देती हैं। शब्द नहीं मिलते मुझे, खुदको बया करने के लिए, शायद इसिलिए आज तक खुदके लिए भी अंजान सी हुं .....!!!!
मुझे दोबारा तुमसे एक आखरी मुलाकात करनी है, इसलिए नहीं क्योंकि मुझे हम दोनों के रिश्ते से कोई उम्मीद है। बस सिर्फ इसलिए, क्योंकि पता नहीं था हम दोनों को ही कि, वो हमारी आखरी मुलाकात होगी। बस इस मुलाकात को आखरी बनाना चाहती हूं, एक बार फिर उस पल, उन बातों और यादों को दोहराना चाहती हूं, वो सब कुछ बयां कर देना चाहती हूं, जो उस पल नहीं कह पायी थी। मैं इस रिश्ते को एक ओर मौका नहीं देना चाहती, बस इसे एक सही अंजाम देकर जिंदगी में आगे बढ़ जाना चाहती हूं। और इसलिए मुझे दोबारा तुमसे एक आखरी मुलाकात करनी है। क्या तुम आओगे मुझसे मिलने, और इस कहानी को सही अंजाम देने...???
Bhagwan ne chidiya ko par udne ke liye diye hai. Pr kabhi kabhi duniya ka manjhaa unhe badi badsaluki se kaat deta hai. Or bs use pinjare me ked hokr tadpne k liye chhod deta hai. -Nhi Btana
जिंदगी संवारने के लिए, जिंदगी से दूर हूं। अपनों की खुशी के लिए, अपनों से दूर हूं। सुकून ढूंढने की राह में, खुद से ही कहीं दूर हूं। सफर में इम्तहान बहुत दिये, पर अभी मंजिल से बहुत दूर हूं।
Kya jaruri hai ki hume zindagi ke har sawal ja jawab pta ho, Or nhi pta hai to kya use janna bhut jaruri hota hai? Or agr nhi hota jaruri, to kya us sawal ko unsuljha nhi chhod skte hum....??
जिंदगी हमेशा रुलाती क्यों है ? ऐसा नहीं की हंसाती नहीं, पर जितना हंसाती है, उससे तो कहीं ज्यादा रुला देती है। फिर ऐसी हंसी का मतलब हीं क्या है? अगर रोना ही है, तो मुस्कुराने का मतलब क्या है? कई सवाल है ज़हन में, पर हर सवाल का जवाब मिल जाये, तो फिर जिंदगी, जिंदगी क्यों है ? जिंदगी का मतलब एक सफर है, जिसमें दो पल खुशी, पर हर पल गम है । पर चलना तो जरूरी है, क्योंकि रुक गये तो सिर्फ मौत है। और जिंदगी के दुःखों को हम कितना ही ना पसंद कर ले, पर मौत को कभी पसंद नहीं कर पायेंगे | तो जैसी मिली है वैसी जिंदगी जिते है। हर कदम पर गम है तो क्या हुआ दूसरे पल जो खुशी मिलेगी, उस खुशी का पिछा करते हैं। जिंदगी को थोड़ा और मजे से जिते हैं।
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