आज ही तो हम मिले थे
मिलते ही एक दूजे के हो गये थे
आज ही तो हमने ताउम्र साथ-साथ
लड़ने-झगड़ने की कसमें खायी थी
कभी न बिछड़ने की कसमें खायी थी
कभी तो किसी बात पर कभी बिना किसी बात पर
रूठने मनाने की कसमें खायी थी
मुंह फूलाने की कसमें खायी थी

सुबह सुबह मेरा दफ्तर के लिए चिल्लाना
तुम्हारा पांच मिनट और समय बढा़ना
कि थोड़ी देर और रुक जाओ
चार रोटी और सेंक देती हूं
टिफिन पैक कर देती हूं
थोड़ा रुक जाना लेकर जाना
और मेरा मुंह फुलाकर चले जाना

मेरा रोज रोज जिद करना
तुम्हारा गाल इधर से उधर घुमाना
कि होंठो पर तो नहीं मिलेगी
मेरी लिपस्टिक खराब हो जाती है

वक्त भी कितना तेजी से गुजरता है
जैसे कल ही तो आयी थी तुम
ऐसा आज भी लगता है

-Vikash Kumar

Hindi Poem by Vikash Kumar : 111928750

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