कात्यायनी देवी
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या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 🙏🙏
माँ दुर्गा, पार्वती का सुंदर रूप ही कात्यायनी देवी है। जो स्नेह और प्रेम का प्रतीक है । नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा -अर्चना की जाती है । ऐसा माना जाता है कि ऋषि कात्यायन ने ही सबसे पहले उनकी पूजा की थी , इसलिए उन्हें कात्यायनी के नाम से जाना जाने लगा। माँ के इस रूप की उपासना कर भक्त मनोवांछित फल की प्राप्ति करते हैं। माँ कात्यायनी देवी सब पर कृपा करें 🙏🙏
कात्यायनी देवी
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अपने भक्तों पे माँ तू करती दया
कैसे कह दें कि जीवन व्यर्थ गया
शक्ति बन तू ही तो विचर रही
तेरा ही तो है माँ सब पर साया ।
कात्यायनी भी माँ है एक नाम तेरा
पर्वतों पर लगाती है सदा ही डेरा
पापी-दुष्टोंजनों का करती तू संहार है
सूर्य के तेज सा चमकता है तेरा चेहरा।
महिमा माँ तेरी जो कोई जान गया
वही तो माता तुझे है पहचान गया
वेदों -पुराणों में मिलता तेरा गुणगान है
तुझमें ही छुपा हुआ माता जीवनगान है।
फूलों से सुशोभित होती है तेरी छवि
ऋषि कात्यायन ने पहले पूजा की हवि
मनोवांछित फल देती माँ भरती झोली
आज्ञा चक्र में भरती है माँ तेजस्वी रवि।
आभा दवे ©
20-10-2023 शुक्रवार