कितनी बातें तुम करते थे
थक कर तुम मुझ पर सोते थे
क्या कमी हो गई
बातें कहा सारी खो गई
अहसास क्यों नम हुए
बातों को मुलाकातों के सिलसिले
क्यों कम हुए
क्या हो गई मुझसे कोई खता
क्या रह गई कमी मुझसे
क्यों उदासियो की दे रहे हो सजा
जब तेरी बातें रुक जाए
मेरे दिन ठहर जाते रातें ढल ना पाए
धड़कनें मुझसे हो जाती खफा
सांसें भी जैसे रुक ही जाए
हो जाती वो भी बेवफा
-Kavya Soni