Hindi Quote in Story by PURNIMA JOSHI

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"राखी कुछ ऐसी भी"
पारस ने बहन के लिए घड़ी खरीदी ,नई साड़ी और बहुत सारे उपहार बच्चों और जीजा के लिए खरीदें । सोचा पत्नी देखेगी तो नाराज होगी ,सो उसने चुपचाप करके डिक्की में सारे उपहार छुपा दिए ।जब राखी के दिन बहन के घर जाने लगा तो पत्नी ने कहा "कार कहां लेकर जाओगे ? बस से चले जाओ , कार मुझे चाहिए ,मुझे भी तो अपने भाई के यहां जाना है ।पारस खाली हाथ बहन मोती के घर पहुंचा ।बहन ने खूब स्वागत सत्कार किया ,सुंदर सी राखी पारस को बांधी।घर के बने बेसन के लड्डू , मठरी,नमकीन और घर का बना अचार भाई को साथ ले जाने के लिए रख दिया ।भाई को जो पसंद था वह खाना भी बना कर खिलाया ।पारस की जेब में ज्यादा रुपए न थे, वापस भी जाना था ,पत्नी ने तो पर्स खाली करके भेजा था। पारस ने सोचा अब मोती को क्या दूं ?ध्यान आया गले में सोने की चेन है ,वही दे दी,मोती ने चैन पहनी ,पारस खुश हुआ ,सोचा, पत्नी को कह दूंगा कि रास्ते में किसी ने पार कर दी या खो गई ।विदाई के समय दोनों भाई बहनों की आंखों में आंसू थे ।बहन ने एक कागज की पुड़िया भाई को दी और जो नाश्ता बनाया था, वह सारा सामान भाभी को देने के लिए दिया और कहा रास्ते में कागज की पुड़िया खोलना ,तुम्हारे बचपन का एक खिलौना इसमें है ।भाई के जाने के बाद मोती ने पड़ोसन को कहा "अगले माह आपका उधर लौटा दूंगी "।पारस ने बस में बैठकर पुड़िया खोली, उसमें उसके बचपन का खिलौना था ,एक बंदर जो चाबी भरने पर नाचता था ।खिलौना देखकर पारस भावुक हो गया,याद आया दोनो भाई बहन मिलकर बचपन में इस बंदर से खेलते थे।फिर उसने देखा कि बंदर के गले में वही सोने की चेन थी ,जो उसने अपनी बहन को दी थी । पुड़िया के कागज पर लिखा था "माफ करना भैया! चैन लौटा रही हूं क्योंकि भाभी नाराज हो जाएगी, तुम खुश रहो ,बस! तुम्हारे प्यार के अलावा मुझे और कुछ नहीं चाहिए।तुम्हारा आना और मुझसे राखी बंधवाना ही मेरा नेग है।
पूर्णिमा जोशी"पूनम सरल "

Hindi Story by PURNIMA JOSHI : 111893301
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