विषय - मेरी मां
दिनांक -30/04/2023
जबसे होश संभाला था,
मां को कितने काम करते देखा।
सुबह से लेकर रात तक,
गृहकार्यो में घिरे हुए देखा।।
घर में सबसे पहले उठकर,
सबका भोजन तैयार करती।
बिना थकावट बिना रुके मां,
एक के बाद एक दैनिक कार्य करती।।
कभी कुछ गलती हो जाने पर,
मां के आंचल में छुप जाते।
मां को अपनी गलती बताकर,
स्नेह से मां की चपत भी खाते।।
मन में हो कोई दुविधा समस्या,
तो मां उसका समाधान करती।
पिता से अगर कुछ कहना हो तो,
मां ही बातों का आदान प्रदान करती।।
मां के साथ में होने पर,
एक आत्मविश्वास बना रहता है।
परिस्थितियां कैसी भी हो,
मन में विश्वास अडिग रहता है।।
मां के सानिध्य में रहने पर,
बढ़ता रहता है मनोबल।
आशीर्वाद मां का हमेशा रहे,
जीवन का आज हो या हो कल।।
किरन झा मिश्री
ग्वालियर मध्य प्रदेश
-किरन झा मिश्री